Plus One Hindi कविता और उससे संबंधित प्रश्न (Poem and Related Questions)

Kerala Plus One Hindi कविता और उससे संबंधित प्रश्न (Poem and Related Questions)

निम्नलिखित कविता पढ़कर उसके नीचे दिए प्रश्नों के उत्तर लिखें।

पानी की एक बूंद टपकी, टप!

बेचारी अकेली बूंद,

पक्षी आया, उसे पी गया।

हवा आई, उसे उड़ा ले गई,

आँगन की माटी ने उसे सुखा दिया।

फिर एक साथ गिरी दूसरी, तीसरी, चौथी बूंद,

बूंद-बूंद करके तालाब भर गया,

करोड़ों बूंदें एक साथ होकर लहराई

उनमें सागर की-सी शक्ति आई

पक्षी उसे पी न सका,

हवा उड़ा न सकी

आँगन की माटी सुखा न सकी।

HSSlive Plus One Hindi कविता और उससे संबंधित प्रश्न (Poem and Related Questions) 1

1. कविता के लिए उचित शीर्षक लिखें।

2.अकेली बूंद की क्या अवस्था हुई?

3.कविता का भाव अपने शब्दों में लिखें।

उत्तरः

1. पानी की बूंद

2. अकेली पानी की बूंद को पक्षी आकर पी गया, हवा आकर उसे उड़ा ले गई और आँगन की माटी ने उसे सुखा दिया।

3. पानी की एक बूंद गिरते ही पक्षी आकर उसे पो गया। हवा आकर उसे उड़ा ले गई। आँगन में पडी हुई मिट्टी उसे सुखा दिया। फिर पानी की बूंदें एक एक होकर एक साथ गिरी। इससे तालाब भर गया। करोडों बूंदें एकसाथ लहाराई। एकसाथ आने से बूंदों में सागर की सी शक्ति आयी। इससे पक्षी उसे पी न सका। हवा उडा न सकी। एकता में ही बल है। एकसाथ रहने पर उसे कोई भी हरा न सकता। एकसाथ काम करने से दूसरों के लिए भी फायदा मिल सकते हैं। यही आशय प्रस्तुत पंक्तियों के द्वारा कवि उजागर करना चाहते हैं।

II नीचे दिए कवितांश पढ़िए और अनुबद्ध कार्य करें।

पानी तो अनमोल है, उसको बचाके रखिए।

बर्बाद मत कीजिए उसे, जीने का सलीका सीखिए

पानी को तरसते है धरती पर काफी लोग यहाँ

पानी ही तो दौलत है पानी सा धन कहाँ।

पानी की है मात्रा सीमित, पीने का पानी और सीमित

तो पानी को बचाइए, इसी में है समृद्धी निहित।

जल ही तो जीवन है, पानी है गणों की खान

पानी ही तो सब कुछ है पानी है धरती की शान।

1. कविता के लिए उचित शीर्षक लिखिए

2. समान अर्थवाले शब्द कवितांश से ढूँढकर लिखिए। ‘नष्ट करना’, ‘अमूल्य’।

3. कवि ने पानी की क्या क्या विशेषताएँ बताए हैं?

4. कविता की आस्वादन टिप्पणी अपने शब्दों में लिखें।

उत्तर

1. पानी को बचाएँ

2. बर्बाद करना, अनमोल

3. पानी अनमोल है, जीने का सलीका है, धन – दौलत है हमारा जीवन है गुणों की खान है, हमारा सबकुछ है, धरती की शान है।

4. पानी अनमोल है। उसे बचाकर रखना चाहिए। पानी बर्बाद मत कीजिए। उसे जीने का सलीका सीखिए। धरती पर काफी लोग पानी के लिए तरसते हैं। पानी हमारे लिए दोलत है। पानी जैसा धन और क्या हो सकता है हमारी धरती पर पानी की मात्रा बहुत कम है। वह भी पीने का पानी और भी सीमित है। इसीलिए पानी को बचाए रखना अत्यावश्यक है। जल ही हमारा जीवन है। इसके बिना हम जी नहीं सकते। पानी ही सारे गुणों का खान माना जाता है। मनुष्य के लिए पानी ही सबकुछ है। यही धरती की शान है। कवि यहाँ पानी की गुणगान करते हैं। पानी की आवश्यकता पर बल देकर उसे जीवन दायिनि बताते हैं।

III यह कविताश पढ़ें और प्रश्नों के उत्तर लिखें।

आज मेरे पास क्या नहीं

कोठी है, कार है

नौकर है चाकर है, तिजोरी है, लॉकर है,

शान है, सत्ता है

आराम ही आराम है

गुलाबी भोर है

नशीली शाम है

लेकिन एक बात समझ में नहीं आती

कि रातों में मुझे नींद क्यों नहीं आती?

(कोठी- बंगला, तिजोरी – shelf. भोर -सुबह

1. कविता के लिए उचित शीर्षक लिखें।

2. कवि के पास क्या-क्या सुविधाएँ है?

3. कविता का भाव अपने शब्दों में लिखें।

उत्तरः

1. मुझे नींद नहीं आती।

2. कवि के पास कोठी है, कार है, नौकर-चाकर है, तिजोरी है, लॉकर है, शान है, अधिकार है, आराम है। .

3. कवि कहते
हैं आज मेरे पास बंगला है, कार है, नौकर-चाकर है, तिजोरी है, लॉकर है, शान है, अधिकार है। मुझे हमेशा आराम ही आराम है। मेरे लिए गुलाबी रंग का प्रभात है अर्थात् वह बहुत ताज़ा है। नशीली शाम है। जीवन की मज़ा लूटने की सारी सुविधाएँ अब मेरे पास है। लेकिन एक बात अब भी मेरी समझ में नहीं आती कि मुझे अब नींद क्यों नहीं आती। प्रस्तुत पंक्तियों में आधुनिक मनुष्य की विडंबना का चित्रण हुआ है। सबकुछ होते हुए भी सुख निद्रा से उसे वंचित रहना पडता है। सारी सुख सुविधाओं के बीच बेचैन रहनेवाले आधुनिक मनुष्य पर यहाँ प्रकाश डाला गया है। इसका कारण उसकी स्वार्थता है।

IV नीचे दिए कवितांश पढ़ें और प्रश्नों के उत्तर लिखें।

गाँव छोटा है

इसीलिए सुन्दर है, शान्त है और अलग भी

जब बडा हो जायेगा शहर जैसे

तो खत्म हो जाएगी इसकी भी शान्ति

नष्ट हो जाएगा सुन्दरता

दफ़न हो जाएगी कहीं

इसकी भी

इंसानियत छोटी चीज़ों में छुपा रहता है

इस तरह उनका बड़ाप्पन।

1. कविता के लिए उचित शीर्षक लिखें।

2. गाँव के शहर बनने पर क्या-क्या परिवर्तन होते हैं?

3. कविता का भाव अपने शब्दों में लिखें।

उत्तर:

1. गाँव की सुन्दरता

2. गाँव शहर जैसे बड़ा होने पर शांन्ति खतम हो जाती है, सुन्दरता नष्ट हो जाती है,इंसानियत का दफन हो जाता है।

3. गाँव छोटे होने से सुन्दर है। इसलिए बहुत शान्त है और दूसरों से अलग भी है। जब गाँव शहर जैसे बड़ा हो जाते हैं तब उसकी शान्ति नष्ट हो जाती है। गाँव की सुन्दरता खतम होने लगती है। यहाँ की सीधी-सादी इंसानियत का दफन भी हो जाता है। इसतरह छोटी चीजों में उनका बड़प्पन छिपा रहता है। भोली भाली गाँव की विशेषताओं पर कवि ने प्रकाश डाला है। शहर से भिन्न गाँव के अपने भोलेपन को कायम रखना आवश्यक है। नहीं तो वहाँ की इंसानियत भी नष्ट हो जाएगी। छोटी-छोटी चीजों में उसका बड़प्पन निहित है। गाँव की महिमा का चित्रण कवि ने यहाँ किया है।

उत्तर:

1. यह धरती रबड़ नहीं

2. मानव जंगल को तोडते हैं। अनेक वृक्षों को काटते हैं। धरती को टुकड़ों में बाँटते हैं। बबूलों के पेड को लगाते हैं।

3. कवि मानव से पूछते हैं तुम कितने जंगल तोडोगे, कितने वृक्षों को काटोगे। इस हरियाली से भरी धरती को कितने टुकड़ों में बॉटोगे। क्या तुम्हें थोडी भी क्षमा नहीं? क्या तुम्हें यह भी खबर नहीं है कि यह धरती बस धरती है। यह कोई रबड़ नहीं, जिसे आसानी से उलझा सके। यहाँ बबूलों के पेड बोते हैं। तो फिर आम कहाँ से खायेंगे? प्रकृति के प्रति मानव के क्रूर व्यवहार का चित्रण यहाँ हुआ है। भारी पैमाने में जंगल काटना हमारे लिए ही भीषण वातावरण पैदा किया है। आजकल मनुष्य धरती को रबड़ मान लिया है। आम के पेड के स्थान पर बबूलों को लगाकर मनुष्य धरती का शोषण कर रहा है।

V. निम्नलिखित कवितांश पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर लिखें।

तुम कितने जंगल तोड़ोगे

कितने वृक्षों को काटोगे

इस शस्य-श्यामला धरती को

कितने टुकड़ों में बाँटोगे?

है किंचित तुम को सबर नहीं

क्या यह भी तुम को खबर नहीं

यह धरती तो बस धरती है

यह धरती कोई रबड़ नहीं

बोते हो पेड़ बबूलों के फिर आम कहाँ से खाओगे?

(किंचित – थोडा, बबूल – Acacia tree, बोना – to plant, सबर – Patience)

1. कवितांश के लिए उचित शीर्षक लिखिए।

2. प्रकृति के प्रति मानव का व्यवहार कैसा है?

3. कवितांश का भावार्थ लिखिए।

उत्तर:

1. यह धरती रबड नहीं

2. मानव जंगल को तोडते हैं। अनेक वृक्षों को काटते हैं। धरती को टुकड़ों में बाँटते हैं। बबलों के पेड को लगाते हैं।

3. कवि मानव से पूछते हैं तुम कितने जंगल तोडोगे, कितने वृक्षों को काटोगे। इस हरियाली से भरी धरती को कितने टुकड़ों में बाँटोगे। क्या तुम्हें थोडी भी क्षमा नहीं? क्या तुमें यह भी खबर
नहीं है कि यह धरती बस धरती है। यह कोई रबड़ नहीं, जिसे आसानी से उलझा सके। यहाँ बबूलों के पेड बोते हैं। तो फिर आम कहाँ से खायेंगे? प्रकृति के प्रति मानव के क्रूर व्यवहार का चित्रण यहाँ हुआ है। भारी पैमाने में जंगल काटना हमारे लिए ही भीषण वातावरण पैदा किया है। आजकल मनुष्य धरती को रबड़ मान लिया है। आम के पेड के स्थान पर बबूलों को लगाकर मनुष्य धरती का शोषण कर रहा है।

उत्तर:

1. प्रकृति को बचा लो।

2. पहले धरती पर जंगल लहराते थे। हरियाली फैली थी। कल-कल होकर नदियाँ बहती थीं। 3. कवि हमें चेतावनी देना चाहते है कि इस बंजर धरती को कुछ करना होगा। अगर अब कोई परिश्रम नहीं करेगा तो सबको मरना होगा। पहले धरती पर जंगल लहराते थे। सबकहीं हरियाली फैली थी। कल-कल होकर नदियाँ बहती थीं। आजकल हर कहीं सूखी नदियाँ और सूखे झरने मिलते हैं। इन सबको अब पानी से भरना होगा। हमें इसपर कुछ करना चाहिए। हमारे पास अब भी समय है। अभी भी उसे संभल सकते हैं। पर्यावरण बचाना है, प्रकृति के संग चलना है। यहाँ प्रकृति के प्रति होने वाली मानव की चेष्टाएँ खुलकर दिखाया है। कवि हम से यह बताना चाहते हैं कि अगर हम कुछ नहीं करेंगे तो एकसाथ मर जाएंगे। प्रस्तुत पंक्तियों के द्वारा पर्यावरण बचाने की मांग भी कवि रखते हैं।

VI निम्नलिखित कविता पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर लिखिए।

देखो, इस बंजर धरती का

कुछ तो करना होगा….

नहीं किया अगर यत्न अभी कुछ

सबको मरना होगा…

एक समय था, जब धरती पर जंगल लहराते थे

हरियाली फैली थी सब कहीं

कल-कल नदियाँ बहती थीं…

सुखी नदियाँ, सूखे झरने

इन सब को भरना होगा….

कुछ तो करना होगा।

अभी समय है, अभी संभल सकते हो

पर्यावरण बचा लो, प्रकृति के संग चलो।

(बंजर – dry, हरियाली – greenary, संभलना – to take care)

1. कविता के लिए उचित शीर्षक लिखिए।

2. धरती की अवस्था कैसी थी?

3. कविता का भाव अपने शब्दों में लिखिए।

VII कवितांश पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर लिखें।

जब मैं छोटा बच्चा था

तब मेरे भीतर

एक नदी बहती थी

जिसका पानी उजला

साफ और पारदशी था

जैसे जैसे मैं

बड़ा होता गया

मेरे भीतर बहती नदी

मैली होती चली गई

यह दुनिया की सारी नदियों की व्यथा है

यह दुनिया के

सारे लोगों की कथा है

(पारदर्शी – transparent)

1. कवितांश के लिए उचित शीर्षक लिखें।

2. छोटी अवस्था में नदी का पानी कैसा था?

3. ‘यह दुनिया के सारे लोगों की कथा है’ – इससे कवि का मतलब क्या है?

4. कवितांश की आस्वादन टिप्पणी लिखें।

उत्तर:

1. नदी का जल

2. छोटी अवस्था में नदी का पानी उजला, साफ और पारदर्शी था।

3. जब कवि छोटा था, उसका मन भोला-भाला था, छल-कपट से दूर था। लेकिन अब बड़े होते हीमेरा मन गन्दगी या स्वार्थता से भर गया। दुनिया के सारे लोगों में ऐसी स्वार्थ भावना भरे होने की सूचना यहाँ देते हैं।

4. कवि कहते हैं कि जब वह छोटा था तब भोलाभाला था, छल-कपड से वंचित था। नदी में साफ -सुथरा उजला और पारदशी पानी बहता था। जैसे ही वह बड़ा होता गया उसके मन में भी स्वार्थता आने लगी। उसका मन मेला-कुचेला बन गया। नदी में ढेर सारे कूडे-कचरे भर गये। यही दुनिया की सारी नदियों का दाख है। यही सारे दुनियावालों की कथा है। यहाँ कवि ने नदी के प्रदुषित होने जैसे मनुष्य के स्वार्थ बन जाने की बात बतायी है। ‘सारे लोगों की कथा है’ के माध्यम से मनुष्य के स्वार्थमय जीवन का परिचय देना चाहते हैं।

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